महाविद्यालय के रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग द्वारा नाभिकीय शस्त्र एवं भारतीय सुरक्षा विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया।
जिसमें मुख्य अतिथि प्रो. विनोद कुमार सिंह, रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग, दी.द.उ.गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि नाभिकीय शस्त्र का उदय 1939 में मेघटन परियोजना से प्रारम्भ होता है। तथा वास्तविक रूप में 16 जूलाई 1945 को अमेरिका ने आल्मोगोरडा नामक फायरिंग रेंज में पहला नाभिकीय परीक्षण करके नाभिकीय युग का सूत्रपात किया।
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् पूरा विश्व दो गुटों में बटा हुआ था। जिसमें एक पूंजीवादी गुट का नेतृत्वकर्ता अमेरिका तथा दूसरा साम्यवादी गुट जिसका नेतृत्व सोवियत संघ कर रहा था। वह परम्परागत हथियारों के संदर्भ में अमेरिका से सशक्त था इसलिए अमेरिका ने अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में अपनी शक्ति को स्थापित करने के लिए एक नये प्रकार की तकनीकी नाभिकीय शस्त्र का सफल परीक्षण किया था और 6 एवं 9 अगस्त को हिरोशिमा एवं नाकासाकी पर बम गिराकर एक नये प्रकार के नाभिकीय भयादोहन का कार्य किया। उन्होंने आगे कहा कि किसी को भी भयभीत करने के लिए तीन बातें महत्वपूर्ण होती हैं।
सूचना, क्षमता एवं विश्वसनीयता अमेरिका ने इसी को प्राप्त करने के लिए परमाणुबम का प्रयोग किया था। 1945 से 1949 तक एक तरफ वर्चस्व अमेरिका का था लेकिन सोवियत संघ ने नाभिकीय परीक्षण करके उसके वर्चस्व को तोड़ दिया वहीं से एक नये युग का सूत्रपात हुआ जिसे शीतयुद्ध के नाम से जानते हैं जो 1950 से 1970 के दशक तक चला।
इसी दौरान ब्रिटेन, फ्रांस, चीन ने भी परमाणु परीक्षण कर लिया तब इसके प्रसार को रोकने के लिए अमेरिका एवं युरोपीय राष्ट्रों ने नाभिकीय अप्रसार संधि लायी जिसका मोटो यह है कि 1968 के पूर्व जिन्होंने नाभिकीय क्षमता हासिल कर ली है वे नाभिकीय क्षमता का विस्तार कर सकते हैं। इसके बाद भारत, पाकिस्तान, इजराइल उत्तर कोरिया नाभिकीय परीक्षण किया।
भारत ने 1974 में नाभिकीय परीक्षण किया जिसको उसने शान्तिपूर्ण उद्देश्य की प्राप्ति बताया तथा इसके उपरान्त नाभिकीय परीक्षण का श्रृंखला पूर्ण किया और यह सिद्धान्त दिया कि हम पहले किसी पर भी नाभिकीय शस्त्र का प्रयोग नही करेंगे और न्यूनतम नाभिकीय प्रोद्योगिकी क्षमता रखेंगे जिसका परिणाम यह हुआ कि जो भारत 1962 में चीन से पराजित हुआ था वहीं उसने डोकलाम विवाद, अरूणांचल के पास फिंगर 1 से 8 तक विवाद में चीन जैसे विस्तारवादी देश को अपनी यथास्थिति पर वापस जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि नाभिकीय शस्त्र भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा के अभिन्न अंग हैं और जब तक निष्पक्ष एवं वैश्विक नाभिकीय निशस्त्रीकरण नही हो जाता है तब तक ये हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के अभिन्न अंग बने रहेंगे।
उक्त क्रम में विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा निर्मित सैन्य माॅडल का जनजागरूकता प्रदर्शनी भी किया गया। जिसमें 70 छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। इस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान गलवान घाटी पर पल्लवी सिंह, आशुतोष राव और अनुभव मिश्रा के ग्रुप को, द्वितीय स्थान डीआरडीओ पर आशुतोष कुमार मिश्र को तथा राफेल के माॅडल पर तृतीय स्थान पूजा कुमारी एवं सपना को प्राप्त हुआ।
जिसमें निर्णायक मण्डल के रूप में प्रो. विनोद कुमार सिंह, रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग, दी.द.उ.गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर, डाॅ. राजेन्द्र भारती, पूर्व मौसम वैज्ञानिक एवं पूर्व आचार्य राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खड़गवासला एवं डाॅ. श्रीभगवान सिंह, प्राचार्य, अवेद्यनाथ महाविद्यालय चैक बाजार, महराजगंज रहे।
उक्त कार्यक्रम का संचालन विभाग के प्रभारी डाॅ. आर.पी.यादव ने स्वागत भाषण डाॅ. इन्द्रजीत कुमार ने तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता अर्थशास्त्र विभाग के प्रभारी, डाॅ. सत्यपाल सिंह ने की। आभार ज्ञापन श्री विकास पाठक ने की। कार्यक्रम में विभाग के सभी विद्यार्थी उपस्थित रहे।
19/02/2021